डूबते को बचाना काम है LIC का, अब करेगी IL &FS की मदद


जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) कर्ज संकट में फंसी आईएल एण्ड एफएस के पक्ष में खड़ी हुई है। एलआईसी ने मंगलवार को कहा कि वह IL&FS को गिरने नहीं देगी और इसे बनाये रखने के लिये सभी विकल्पों पर विचार करेगी। IL&FS  में LIC की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। IL&FS  समूह की कंपनी IL&FS Financial Services सोमवार को वाणिज्यिक पत्र का सोमवार को होने वाला भुगतान करने में असफल रही। यह तीसरा मौका था जब कंपनी अपनी भुगतान वचनबद्धता को नहीं निभा पाई। LIC के चेयरमैन वी.के. शर्मा ने वित्त मंत्रालय में बैठक के बाद आश्वासन दिया कि IL&FS को कारोबार में खड़ा रखने के लिये हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करेंगे की IL&FS न डूबे। हम नहीं चाहते हैं कि संक्रमण IL&FS से शुरू हो.... सभी विकल्प खुले हैं। इसमें कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ाने का विकल्प भी शामिल है।’’
अवसंरचना विकास और वित्तीय समूह की यह कंपनी पिछले कुछ समय से नकदी संगठ से जूझ रही है। इस महीने की शुरुआत में वह सिडबी को 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर पाई थी। इसके बाद 14 सितंबर को यह 105 करोड़ रुपये के कमर्शियल कर्ज-पत्र का भुगतान नहीं कर पायी और उसके अगले दिन 80 करोड़ रुपये के अंतर-कॉरपोरेट जमा राशि का भुगतान करने में विफल रही।
बहरहाल, वित्त मंत्रालय ने कहा है कि आईएल एण्ड एफएस समूह सरकार से अलग स्वतंत्र समूह है और कंपनी को खुद अपनी समस्या का निदान करना होगा। सरकार की इस कंपनी में हालांकि कोई हिस्सेदारी नहीं है लेकिन एलआईसी और स्टेट बैंक जैसे कुछ सार्वजनिक उपक्रमों की इसमें शेयरधारिता है। एलआईसी की आईएल एण्ड एफएस में एक चौथाई हिस्सेदारी है जबकि जापान के आरिक्स कारपोरेशन की 23.5 प्रतिशत हिस्सेदारी इसमें है। इसके अलावा आबु धाबी इनवेस्टमेंट अथारिटी की 12.5 प्रतिशत, आईएल एण्ड एफएस कम्रचारी कल्याण ट्रस्ट की 12 प्रतिशत, एचडीएफसी की 9.02 प्रतिशत हिस्सा है।

Comments